धोनी की शादी में पत्रकारों की फजीहत

चार जुलाई को टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की शादी देहरादून में हो गयी! दुनिया से छुपकर की गयी इस शादी ने सबको हैरान कर दिया! सब-कुछ इतनी चोरी छुपे हुआ कि मानो धोनी शादी नहीं बल्कि कोई गैरकानूनी काम कर रहे हों! पूरा कार्यक्रम देहरादून से दूर जंगल में स्तिथ एक ऐसे रिसोर्ट में किया गया जहाँ रात के समय देहरादून के लोगों का पहुंचना बिलकुल भी असान नहीं था ! शादी के इस तरीके से जिसे सबसे ज्यादा दिक्कत हुई वो थी मीडिया! धोनी कि शादी कि खबर मिलते ही मीडिया जगत में हड़कंप मच गया! इलेक्ट्रोनिक मीडिया हो या प्रिंट मीडिया, सबकी टीम रातों रात देहरादून पहुंचनी शुरू हो गयीं! जिससे दुनिया भर के लोगों को धोनी कि शादी कि तस्वीरें दिखाई जा सकें! लेकिन कप्तान साहब ने मीडिया को पास भटकने तक नही दिया! सुरक्षा कर्मियों ने मीडिया कर्मियों को रिसोर्ट के गेट से भी पहले ही रोक लिया, और किसी भी हाल में रिसोर्ट में घुसने नहीं दिया! सुरक्षा कर्मी भी बेचारे क्या करते..? उन्हें जैसा आदेश मिला था वो तो उसी का पालन कर रहे थे! अंदर धोनी के सात फेरे हो रहे थे बाहर मीडिया कर्मी हैरान-परेशान घूम रहे थे! अंदर शाही पकवान खाए जा रहे थे, बाहर भूखे-प्यासे मीडिया कर्मियों को पानी तक के लिए भी नहीं पूछा गया! मीडिया के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा था कि मानो मीडिया कवरेज करने नही बल्कि कप्तान साहब से चंदा मांगने आई हो! ये सब धोनी उसी मीडिया के साथ कर रहे थे जिसे वो हमेशा से अपना दोस्त बताते आये हैं, शायद धोनी भूल गये की दुनिया भर में लोगों के दिलों में जो उनकी जगह बनी है वो उनके उम्दा खेल के साथ-साथ मीडिया की भी देन है! मीडिया तक शादी की एक भी फोटो नही पहुंचे इसके लिए धोनी ने पूरा इंतजाम कर रखा था, फनशन में किसी को भी एक भी फोटो लेने नहीं दी गयी! यहाँ तक कि जिन मेहमानों ने चोरी-छुपे अपने मोबाइल से फोटों ले लिए थे, उनके मोबाइल से भी सारी फोटों डिलीट कर दी गयीं! लेकिन धोनी को दुनिया की नजरों में हीरो बनाने वाली मीडिया आखिर कैसे हार सकती थी! लाख पाबंदियों के बाद भी मीडिया ने धोनी की शादी के कई फोटोग्राप्स ले ही लिए और धोनी कुछ न कर सके! सवाल ये उठता है कि धोनी ने आखिर ऐसा किया क्यों..? ये सही है कि किसी कि निजी जिन्दगी में दखल अंदाजी नहीं करनी चाहिये, लेकिन जब आप सार्वजानिक जीवन में होते हैं, और करोड़ों लोग आपके बारे में जानना चाहते हों, आपको प्यार करते हों, तो भला अपने जीवन के ऐसे खास लम्हों में आप उनसे कैसे मुहं मोड़ सकते हैं..? आपकी शादी की फोटो देखकर वो खुश हो सकें, क्या उन्हें इतना भी अधिकार नहीं है..? खैर जाने दीजिये धोनी ने अपना काम किया और मीडिया ने अपना! लोगों को उनकी शादी की तस्वीरें दिख ही गयीं! लेकिन एक सवाल ये भी उठता है कि अगली बार अपने खेल का गुणगान करने धोनी मीडिया के सामने किस मुहं से आयेंगे..? वैसे हम मीडिया कर्मियों को इस बात से बिलकुल तकलीफ नहीं होनी चाहिये क्यूंकि जिस धोनी ने अपनी शादी में दिन-रात साथ रहने वाले अपने दोस्तों और सचिन जैसे महान खिलाडियों को ही नहीं इनवाइट किया, उनसे भला हम कोई उम्मीद करें भी तो कैसे करें...??? हम तो ठहरे पत्रकार..., हम तो भगवन से यही दुआं करेंगे कि धोनी कि शादी शुदा जिन्दगी खुशियों से भरी रहे!

पत्रकारों की विश्वसनीयता से खिलवाड़ ना करें ऐड मेकर

आम लोग जितना पत्रकारों पर विस्वास करते हैं उतना शायद किसी पर नहीं करते। पत्रकार जो कुछ भी टीवी पर बोलते हैं या अखबार में लिखते हैं, लाखों-करोड़ों लोग उस पर आंख बंद करके विश्वास कर लेते हैं। आजकल पत्रकारों की इसी छवि का फायदा उठा रहे हैं कुछ ऐड मेकर। टीवी पर ऐसे कई विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं जिनमें पत्रकारों को प्रचार करते दिखाया जा रहा है। कहीं पत्रकार के रुप में मॉडल टूथपेस्ट और तेल बेच रहे हैं तो कहीं वाटर प्रूफिंग पेंट... एक टूथपेस्ट के विज्ञापन में एक महिला पत्रकार को दातों में सड़न ढूंढते दिखाया गया है। सवाल ये उठता है कि क्या पत्रकार ऐसा करते हैं? या अब ऐसा करेंगे? एक दूसरे विज्ञापन में एक पुरुष पत्रकार को “नो ब्रेकिंग न्यूज” के साथ छत पर किया जाने वाले वाटर प्रूफिंग पेंट का गुणगान करते दिखाया गया है। इस ऐड में टीवी की स्क्रिन पर “नो ब्रेकिंग न्यूज” की पट्टी भी दिखाई जा रही है। साथ ही लाइव भी लिखा गया है। इतना ही नहीं ऐड मेकर पत्रकारों के चारों ओर घूमने के साथ-साथ समाचार चैनलों के स्टूडियों तक में पहुंच गए हैं। एक ऐसे ही विज्ञापन में एक समाचार चैनल के स्टूडियों में चल रही एंकर और गेस्ट की चर्चा के बीच हिन्दी फिल्मों की जानी पहचानी एक अभिनेत्री तेल बेचने आ जाती हैं। सवाल ये उठता है कि ऐड मेकर ऐसा क्यों कर रहे हैं। क्या ये पत्रकारों के जरिये अपना उल्लू सीधा नहीं कर रहे हैं? क्या ये पत्रकारों की छवि के साथ गंभीर मजाक नहीं हैं ? ऐसे ऐड देखकर क्या लोगों के मानसिक पटल पर पत्रकारों की विश्वसनीयता के प्रति गलत असर नहीं पड़ेगा ? जाहिर सी बात है फरक तो पड़ेगा ही... लोग पत्रकारों को हल्के में लेना शुरु कर देंगे और उन पर उतना यकीन नहीं करेंगे जितना कि करते हैं। आखिर ऐड मेकर पत्रकारों की छवि के साथ इतना भद्दा मजाक कैसे कर सकते हैं ? सवाल ये भी उठता है कि ऐड मेकर्स ने पत्रकारों को टारगेट क्यों किया ? क्या कुछ पत्रकारों का ख़बरों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना ही इसका मेन कारण हैं ? अगर यही वजह है तो कहीं ना कहीं अपने साथ हो रहे इस खिलवाड़ के लिए हम पत्रकार भी जिम्मेदार हैं। अगर हम अपनी अच्छी छवि की इच्छा रखते हैं तो हमें अपने काम को पूरी इमानदारी से करना होगा। जिससे समाज में हमारी विश्वसनीय छवि तो बनी ही रहेगी और कोई भी हम पत्रकारों पर ऊंगली नहीं उठा सकेगा।