पत्रकारों की विश्वसनीयता से खिलवाड़ ना करें ऐड मेकर

आम लोग जितना पत्रकारों पर विस्वास करते हैं उतना शायद किसी पर नहीं करते। पत्रकार जो कुछ भी टीवी पर बोलते हैं या अखबार में लिखते हैं, लाखों-करोड़ों लोग उस पर आंख बंद करके विश्वास कर लेते हैं। आजकल पत्रकारों की इसी छवि का फायदा उठा रहे हैं कुछ ऐड मेकर। टीवी पर ऐसे कई विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं जिनमें पत्रकारों को प्रचार करते दिखाया जा रहा है। कहीं पत्रकार के रुप में मॉडल टूथपेस्ट और तेल बेच रहे हैं तो कहीं वाटर प्रूफिंग पेंट... एक टूथपेस्ट के विज्ञापन में एक महिला पत्रकार को दातों में सड़न ढूंढते दिखाया गया है। सवाल ये उठता है कि क्या पत्रकार ऐसा करते हैं? या अब ऐसा करेंगे? एक दूसरे विज्ञापन में एक पुरुष पत्रकार को “नो ब्रेकिंग न्यूज” के साथ छत पर किया जाने वाले वाटर प्रूफिंग पेंट का गुणगान करते दिखाया गया है। इस ऐड में टीवी की स्क्रिन पर “नो ब्रेकिंग न्यूज” की पट्टी भी दिखाई जा रही है। साथ ही लाइव भी लिखा गया है। इतना ही नहीं ऐड मेकर पत्रकारों के चारों ओर घूमने के साथ-साथ समाचार चैनलों के स्टूडियों तक में पहुंच गए हैं। एक ऐसे ही विज्ञापन में एक समाचार चैनल के स्टूडियों में चल रही एंकर और गेस्ट की चर्चा के बीच हिन्दी फिल्मों की जानी पहचानी एक अभिनेत्री तेल बेचने आ जाती हैं। सवाल ये उठता है कि ऐड मेकर ऐसा क्यों कर रहे हैं। क्या ये पत्रकारों के जरिये अपना उल्लू सीधा नहीं कर रहे हैं? क्या ये पत्रकारों की छवि के साथ गंभीर मजाक नहीं हैं ? ऐसे ऐड देखकर क्या लोगों के मानसिक पटल पर पत्रकारों की विश्वसनीयता के प्रति गलत असर नहीं पड़ेगा ? जाहिर सी बात है फरक तो पड़ेगा ही... लोग पत्रकारों को हल्के में लेना शुरु कर देंगे और उन पर उतना यकीन नहीं करेंगे जितना कि करते हैं। आखिर ऐड मेकर पत्रकारों की छवि के साथ इतना भद्दा मजाक कैसे कर सकते हैं ? सवाल ये भी उठता है कि ऐड मेकर्स ने पत्रकारों को टारगेट क्यों किया ? क्या कुछ पत्रकारों का ख़बरों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना ही इसका मेन कारण हैं ? अगर यही वजह है तो कहीं ना कहीं अपने साथ हो रहे इस खिलवाड़ के लिए हम पत्रकार भी जिम्मेदार हैं। अगर हम अपनी अच्छी छवि की इच्छा रखते हैं तो हमें अपने काम को पूरी इमानदारी से करना होगा। जिससे समाज में हमारी विश्वसनीय छवि तो बनी ही रहेगी और कोई भी हम पत्रकारों पर ऊंगली नहीं उठा सकेगा।

1 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

बहुत सही लिखा गुरु... वास्तव में पत्रकारों को दिखाकर पैसा कमा रहे हैं ऐड बनाने वाले। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए... इस बात पर ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया जनाब...
संजीव शर्मा, एक पत्रकार