साथ सब आइये...




हो चुका बहुत अब, कुछ कर दिखाना चाहिए

मिलकर लड़ेंगे हक की लड़ाई, साथ सब आइये

छोड़ भी दो आस, कसमें वादे-झूठे हैं सब

इनपर यूं भरोसा कर, चोट ना अब खाइये

मिलकर लड़ेंगे हक की लड़ाई, साथ सब आइये

जिन्हे मजबूत समझा था, वो पेड़ ढह गए

शाखों को जोड़-जोड़ कर, तना ठोस बनाइये

मिलकर लड़ेंगे हक की लड़ाई, साथ सब आइये

चट कर गए सारे फल-फूल, काले पंक्षी सब

रह गई हैं पत्तियां, इन्हे झड़ने से बचाइये

मिलकर लड़ेंगे हक की लड़ाई, साथ सब आइये

माली ने धोखा दिया, बागवान ने की बेवफाई

सभंल जाओ, इस फरेब पर, ना अश्क बाहिइये

मिलकर लड़ेंगे हक की लड़ाई, साथ सब आइये

होती थी हक की बात, निकलती थी सारी भड़ास

बिक गया वो माध्यम, उसे अब भूल जाइये

मिलकर लड़ेंगे हक की लड़ाई, साथ सब आइये

रहना है सबको साथ, थामे रहेंगे हाथों में हाथ

छुपी है संघर्ष में जीत, बस तू हिम्मत ना हारिये

मिलकर लड़ेंगे हक की लड़ाई, साथ सब आइये ।

2 टिप्पणियाँ:

Vinay ने कहा…

सुन्दर कृति
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sandhyagupta ने कहा…

Likhte rahiye.Shubkamnayen.