"झूठ का सामना"


टीवी पर आने वाले लोकप्रिय टीवी सीरियलों में 'सच का सामना' भी काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। अक्सर झूठ बोलने वाले लोग भी अपना सारा काम छोड़कर इसे देखने बैठ जाते हैं। पर सच तो यह है कि इस कार्यक्रम ने कई लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। एक दिन घर से निकला तो देखा कि इस कार्यक्रम को देखकर मेरी पड़ोस वाली भाभी अपने पति से जिद कर रही है कि तुम भी 'सच का सामना' में जाकर भाग लो क्योंकि मैं जानना चाहती हूं कि मेरे सिवा तुम्हारा और कितना औरतों के साथ रिश्ता है। बिचारे उनके पति देव अपने पाक-साफ होने के बारे में कसमें खा-खाकर थक गए, लेकिन भाभी हैं कि विश्वास करने को तैयार ही नहीं। कहती हैं कि जब मशीन पर जाकर बोलोगे तो तभी मुझे यकीन होगा। खैर गली से निकलकर चौराहे पर पहुंचा तो देखा पिछले दिनों बनी नयी सड़क के ठेकेदार को लोगों की भीड़ ने घेर रखा है लोग पूछ रहे थे कि बताओ कितना पैसा खाया और कितना पैसा लगाया...? ठेकेदार साहब बोले आप तो जानते हैं मैं कितना ईमानदार हूं, पिछले लंबे समय से मैं ही यहां के सारे निर्माण कार्य करा रहा हूं, लोग बोले नहीं हमें आप पर यकीन नहीं, 'सच का सामना' में चलो, तब देना अपनी ईमानदारी का हिसाब... हम तभी भरोसा करेंगे। ठेकेदार साहब बड़ी मुश्किल से अपना पिंड छुड़ाकर भागे। अभी मैं चौराहे से मुख्य सड़क पर पहुंचा ही था कि देखा एक आईएएस अधिकारी अपनी पैंट संभालते हुए तेजी से भागे जा रहे हैं और उनके पीछे बहुत सारे लोग दौड़ रहे हैं। मैने एक व्यक्ति से पूछा कि क्या मामला है भाई...? तो वो महाशय बोले कि ये बहुत भ्रष्ट अधिकारी हैं पुलिस इन्हे पकड़ती नहीं, कहती है कि सबूत नहीं हैं इसलिए इन्हे पकड़कर सच का सामना में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। जिससे की सब साफ हो जाए और पुलिस कौई कार्रवाई कर सके। इतना सब देख-सुन कर आगे बढ़ा तो देखा कि सड़क किनारे गंदे कपड़ों में बैठा एक बदसूरत सा आदमी रो रहा है, उसके पास उसका सारा समान बिखरा पड़ा है, देखने में लग रहा था कि कई दिनों से बीमार है, मैने उसे देखकर पूछा कि तुम कौन हो भाई...? तुम्हे रो क्यों रहे हों...? क्या हुआ...? उसने बताया 'मैं झूठ हूं'। जब से 'सच का सामना' आया है तब से मेरा बुरा हाल है लोग सच बोल रहे है कौई मुझे पूछ ही नहीं रहा है। अब मेरे रहने का कहीं भी कौई ठिकाना नहीं रहा है समझ नहीं आता कि मैं क्या करुं...? सच पहली बार मेरा और "झूठ का सामना" हुआ था, उसकी बाते सुनकर मुझे लगा कि मुझे इसकी मदद करनी चाहिए... आखिर जात का पत्रकार जो हूं किसी को दु:खी कैसे देख सकता हूं ? मै भी उसके पास बैठ गया और और समस्या का समाधान सोचने लगा...तभी एक आईडिया आया और मैने उसे देश के कई महान 'नेताओं और मंत्रियों' का पता दे दिया, मैने कहा जाओ तुम यहां हमेशा खुश रहोगे। क्योंकि ना तो ये नेता और मंत्री कभी 'सच का सामना' में जाएंगे और ना ही तुम्हे कभी बेघर होना पड़ेगा। मेरी बात सुनकर वो खुशी से उछल पड़ा और खुशी-खुशी समान उठाकर चल दिया। मैं उसे लंबी आयु की शुभकामनाएं देकर आगे बढ़ गया।

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