
उत्तर प्रदेश के किसानों की इन दिनों बल्ले-बल्ले हो रही है! मानो खुशी से पागल हुए जा रहे हैं! सब मुख्यमंत्री जी का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे हैं। अरे.....कहीं आप यह तो नहीं सोच रहें हैं कि मैं ये क्या अनाप-सनाप लिख रहा हूं, राज्य के 70 में से लगभग 58 जिलों में सूखा होने के बावजूद ऐसा कैसे संभव है...? चलिए मैं आपको बताता हूं कि इन किसानों कि खुशी का राज क्या है। दरअसल पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की सरकार ने राज्य के पार्कों आदि के निर्माण और रख रखाव के लिए लगभग सवा चार सौ करोड़ का बजट तय किया है जबकि प्रदेश के किसानों के सूखे से निपटने के लिए ढाई सौ करोड़ का ही बजट बनाया है ऐसे में भला किसान बेचारे करते तो क्या करते..? इसलिए उन्होने खेतों को छोड़कर इन पार्कों में ही खेती करने का मन बना लिया है! क्योंकि ऐसा करने के कई फायदे होंगे...जैसे पार्कों में किसानों की फसल का ध्यान रखने के लिए उनके अलावा सैकड़ों कर्मचारी भी मौजूद रहेंगे, साथ ही पार्कों के चारों तरफ से घिरे होने के कारण फसल भी सुरक्षित रहेगी, वैसे भी पार्कों में लगी हाथियों की बड़ी-बड़ी मुर्तियों को देखकर पक्षी भी फसल बर्बाद नहीं करेंगे, और खेतों में पुतले वगैरहा लगाने की भी कौई जरुरत नहीं पड़ेगी, साथ ही इन हाथियों से खेती में मददगार जानवरों को भी कंपनी मिल जाएगी! फसलों को सिचाईं के लिए भी भरपूर पानी मिलेगा, और वैसे भी उम्मीद यही की जा रही है कि इन पार्कों के लिए तो सरकार का खजाना समय-समय पर खुलता ही रहेगा! कुल मिलाकर किसानों का ये मानना है कि इससे सुरक्षित और अच्छी खेती कहीं और हो ही नहीं सकती! हां किसानों को इतनी सुविधाओं के बदले इतना जरुर करना पड़ सकता है कि शायद उन्हे खेती करने नीले कपड़ों में आना पड़े तभी तो पार्कों के वातावरण में सही से घुल मिल सकेंगे। रही बात खेतों कि तो खेतों पर तो भूमाफिया धीरे-धीरे कब्जा जमा ही रहे हैं! धीरे-धीरे सब खेत पूंजीपतियों के कारखानों, बिल्डिंगों में बदल ही जाएगें!...सच इसे कहते हैं असली तरक्की! अब समझे आप कि आखिर इतने कुछ होने के बाद तो किसानों का खुशी से पागल होना लाजमी ही है ना!
1 टिप्पणियाँ:
हाहाहाहाहह अच्छा लिखा है
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