"वो जब मेरे पास थी"


वो जब मेरे पास थी, मेरी जीने की वजह खास थी
परेशा तन्हां-तन्हां सा रहता था उसके आने से पहले !
वो आई जिंदगी में तो महसूस हुआ मुझको
मेरे बुझते हुए जीवन में वो रोशनी की आस थी !!
उसके आते ही मानों जीने की चाह उमड़ पड़ी
जवां हो गईं उम्मीदें, जी उठे मेरे सपने सारे !
एक वो ही तो थी मेरी खुशियों की वजह
अब उसके लिए ही मेरी हर धड़कन, सांस थी !!
मेरी बात उसी पर शुरु, उसी पर खत्म होती थी
आंखों को उसके सिवा कौई नजारा मंजूर ही ना था !
दिलो-दीमाग पर मेरे हर पल वो ही छाई थी
पल्कों पर उसके ख्वाब, नजरों में उसकी प्यास थी !!
खुशियों में ही नहीं, हर गम में भी मेरे साथ थी
एक-दूजे के दिलों में रहते थे, रुह बनकर हमेशा !
कहती थी दुनिया छोड़ दूंगी, तुम्हे ना छोड़ूंगी कभी
सबसे खुशमसीब हूं मैं, इसका शास्वत एहसास थी !!
आज फिर से अकेला हूं मैं, मुझे छोड़ वो जा चुकी है
मेरे अपनो को है, मुझे उससे कौई गिला-सिकवा नहीं !
मेरी रगों में हर पल खून बनकर बहती है वो
मैने ही शायद गलात कहा "वो जब मेरे पास थी" !!

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